सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स

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क्या होता है SST? सरकार ने क्यों बढ़ाया इसका लक्ष्य?

शेयर बाजार में नए निवेशकों की फौज देख सरकार ने भी अपनी जेब बड़ी कर ली है. शेयर बाजार में आप मुनाफे में शेयर बेचे या नुकसान में, दोनों ही स्थितियों में फायदा सरकार को होता है. दरअसल, सरकार शेयरों की खरीद-बिक्री पर सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स यानी SST लगाती है.सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स

क्या होता है SST? सरकार ने क्यों बढ़ाया इसका लक्ष्य?

शेयर बाजार (Share Market) में नए निवेशकों (Investors) की फौज देख सरकार ने भी अपनी जेब बड़ी कर ली है. शेयर बाजार में आप मुनाफे (Profit) में शेयर (Stocks) बेचे या नुकसान में, दोनों ही स्थितियों में फायदा सरकार को होता है. दरअसल, सरकार शेयरों की खरीद-बिक्री पर सिक्‍योरिटी ट्रांजेक्‍शन टैक्‍स यानी SST लगाती है. अब शेयरों की खरीद-बिक्री जितनी ज्‍यादा होगी, सरकार सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स को टैक्‍स भी उतना ही ज्‍यादा मिलेगा. कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन लगने और वर्क फॉर्म होम सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स कल्चर शुरू होने से शेयर बाजार को बहुत फायदा हुआ है. लाखों युवा पहली बार निवेशक के रूप में बाजार में आए हैं. नवंबर 2021 तक डीमैट अकाउंट्स की संख्या दोगुनी से अधिक होकर 7.7 करोड़ हो गई है, जो मार्च 2019 में 3.6 करोड़ थी.

वास्तव में, बाजार ने बीते दो दशकों में जो हासिल किया था, वह पिछले ढाई साल में हासिल किया गया है. वर्तमान में 9.59 करोड़ डीमैट अकाउंट्स खुल चुके हैं.

सरकार को मिला बंपर कलेक्शन

डीमैट्स अकाउंट्स में जितना ज्‍यादा लेन-देन होगा, सरकार को उतना ज्‍यादा ही एसटीटी राजस्‍व मिलेगा. शेयरों की बिक्री पर सेलर को 0.025 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. यह टैक्स शेयरों के बिक्री मूल्य पर देना पड़ता है. डिलीवरी बेस्ड शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स की बिक्री पर 0.001 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. पिछले साल शेयर बाजार में जो आंधी-तूफान आया, उससे सरकार की बल्‍ले-बल्‍ले हो गई. सरकार ने इस फाइनेंशियल ईयर में एसटीटी के कलेक्‍शन का जो 12 हजार 500 करोड़ रुपये टारगेट रखा था अभी तक उससे ज्‍यादा कलेक्‍शन आ चुका है.

सरकार इससे इतनी उत्‍साहित है कि उसने अगले फाइनेंशियल ईयर में एसटीटी का टारगेट 20 हजार करोड़ रुपए तय किया है. अगर पिछले 6 सालों के एसटीटी कलेक्‍शन का एवरेज देखें, तो इस बार अभी तक इससे 65 फीसदी ज्‍यादा एसटीटी कलेक्‍शन जमा हुआ है. एसटीटी कलेक्‍शन में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है.

आपको बता दें कि एसटीटी को पहली बार केंद्रीय बजट 2004 में लाया गया था. तब देखने में आया था कि सिक्‍योरिटीज की खरीद-फरोख्‍त से होने वाली इनकम को लोग अपनी आईटीआर में नहीं दिखाते थे. इसके चलते सरकार को टैक्स के मोर्चे पर काफी नुकसान होता था. सरकार ने टैक्स कलेक्शन में होने वाले नुकसान को देखते हुए इसे लेकर फैसला किया था.

सिक्‍योरिटी ट्रांजेक्‍शन टैक्‍स क्‍या है, यह कैसे लगता है?

इक्विटी फंडों की बिक्री पर भी एसटीटी लगता है. इसका मतलब यह है कि अगर आप इक्‍व‍िटी फंड को भुनाते हैं तो बिक्री के मूल्‍य पर आपको एसटीटी देना पड़ता है.

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एसटीटी एक तरह का अप्रत्‍यक्ष कर है. यह सीधे निवेशक/ट्रेडर पर लगाने के बजाय ब्रोकर पर लगाया जाता है. बदले में ब्रोकर अपने क्‍लाइंट से इसे कलेक्‍ट करते हैं और सरकार को जमा करते हैं. निवेशक या ट्रेडर को यह टैक्‍स देना ही पड़ता है, फिर चाहे उन्‍हें मुनाफा हुआ हो या नहीं हुआ हो.

एसटीटी अभी इक्विटी और डेरिवेटिव ट्रांजेक्‍शन पर लगता है. एसटीटी के दायरे में फ्यूचर और ऑप्‍शंस बिक्री के मामले में आते हैं. फ्यूचर और ऑप्‍शन ट्रांजेक्‍शन पर दरें इक्विटी के मुकाबले कम होती हैं. यह लाजिमी है क्‍योंकि ऐसे कॉन्‍ट्रैक्‍ट की वैल्‍यू नोशनल यानी धारणात्‍मक होती है.

इक्विटी फंडों की बिक्री पर भी एसटीटी लगता है. इसका मतलब यह है कि अगर आप इक्‍व‍िटी फंड को भुनाते हैं तो बिक्री के मूल्‍य पर आपको एसटीटी देना पड़ता है.

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STT in Hindi : सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स क्या है? | What is Security Transaction Tax in Hindi

STT in Hindi: भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध प्रतिभूतियों की प्रत्येक खरीद या बिक्री पर एसटीटी लगाया जाता है। इसमें शेयर, डेरिवेटिव या इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड इकाइयां शामिल होंगी। आइये लेख में और विस्तार से जानें कि सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स क्या है? (What is STT in Hindi)

STT in Hindi: भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध प्रतिभूतियों की खरीद (Buy) या बिक्री (Sell) पर एसटीटी (STT) लगाया जाता है। इसमें शेयर, डेरिवेटिव, या इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड इकाइयां शामिल होंगी। पूंजीगत लाभ (Capital Gain) पर टैक्स से बचने के लिए कुछ साल पहले भारत में सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (Securities Transaction Tax) पेश किया गया था। पहले कई लोग आमतौर पर शेयरों की बिक्री से अपने लाभ की घोषणा नहीं करते थे और कैपिटल गेन टैक्स का भुगतान करने से बचते थे। नतीजतन सरकार केवल उन मुनाफे पर टैक्स लगा सकती थी जो घोषित किए गए थे, इस प्रकार पूर्व की सरकारों को राजस्व की हानि होती थी।

इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 2004-05 के केंद्रीय बजट में एसटीटी (STT) पेश किया था। STT के अंतगर्त स्टॉक, इंडेक्स ऑप्शंस और फ्यूचर्स में ट्रांजैक्शन भी Transaction Tax कर के अधीन होंगे। यह टैक्स देना ही पड़ता है चाहे आप शेयर खरीदते या बेचते हैं और ट्रांजैक्शन के समय स्टॉक की कीमत में जुड़ जाता है। चूंकि दलालों को ऑटोमैटिक रूप से इस टैक्स को ट्रांजैक्शन वैल्यू में जोड़ना पड़ता है, इसलिए इससे बचने का कोई तरीका नहीं है।

अगर आप अभी भी यह सोच रहे हैं कि STT Kya Hai? (What is STT in Hindi) तो आइए आपको और विस्तार से समझाते है कि सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स क्या है? (What is Security Transaction Tax in Hindi) इसकी विशेषताएं क्या है और इसे कैसे लगाया जाता है, इसके बारे में भी आप विस्तार जान पाएंगे। तो आइए जानते है कि STT in Hindi

सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स क्या है? | What is Securities Transaction Tax in Hindi

STT in Hindi: सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स एक डायरेक्ट टैक्स है। यह केंद्र सरकार द्वारा सिक्योरिटीज की खरीद और बिक्री दोनों पर स्वीकृत है। इन प्रतिभूतियों में ऑप्शन, इक्विटी और फ्यूचर शामिल हो सकते हैं।

STT विशेष रूप से डोमेस्टिक स्टॉक एक्सचेंज में निपटाने वाले ट्रांजैक्शन पर लागू होता है। साथ ही, STT केवल देश में स्वीकृत स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से पूर्ण किए गए लेनदेन को कवर करता है। इसके अलावा, यह कर ऑफ-मार्केट लेनदेन को बाहर करता है।

यह टैक्सेशन पॉलिसी नीति 1 अक्टूबर 2004 को अस्तित्व में आई और तब से प्रत्येक व्यापारी/निवेशक STT का भुगतान करने के लिए बाध्य है। इसने व्यापार/निवेश के लिए भारत के पूंजी बाजारों में टैक्सेशन सिस्टम को सरल बनाया है।

इससे आपके लिए STT का कॉन्सेप्ट क्लियर हो गया होगा। आइए इसे और अधिक कुशलता से समझने के लिए एसटीटी की कुछ विशेषताओं की जांच करें।

सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स टैक्स की विशेषताएं | Features of Security Transaction Tax in Hindi

चूंकि STT को वित्तीय बाजार से कुशलतापूर्वक टैक्स एकत्र करने के साधन के रूप में लागू किया गया था, इसलिए इसकी कुछ विशिष्ट विशेषताएं हैं।

● यह ध्यान रखना जरूरी है कि STT विशेष रूप से ऑप्शन और फ्यूचर के बिक्री लेनदेन पर लगाया जाता है।

● चूंकि यह केवल मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों पर लागू होता है, व्यक्तिगत सदस्यों पर नहीं, इस टैक्स का भुगतान करने के लिए एक मानदंड है। क्लीयरिंग मेंबर को अपने अधीन ट्रेडिंग मेंबर के सभी STT टैक्स का कुल भुगतान करना होगा।

● फ्यूचर्स पर STT का मूल्यांकन एक्चुअल ट्रेड प्राइस पर किया जाता है। हालांकि ऑप्शन्स के संदर्भ में, प्रीमियम ट्रेडेड वैल्यू की गणना की जाती है।

● एसटीटी की टैक्स दरें सुरक्षा के प्रकार पर निर्भर करती हैं। यह बिक्री या खरीद पर भी निर्भर करता है।

● साथ ही भारत की केंद्र सरकार एसटीटी के लिए टैक्सेशन की दर तय करने के लिए जिम्मेदार है।

ये प्रतिभूति लेनदेन करों की कुछ विशेषताएं थीं। अब, कुछ उदाहरणों की जांच करते हैं और STT को बेहतर तरीके से समझते हैं।

सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स के उदाहरण | Example of Security Transaction Tax

एसटीटी के कराधान को समझने के लिए, आइए एक सरल उदाहरण पर विचार करें।

मान लीजिए, एक 'मिस्टर X' भारतीय इक्विटी बाजार में एक निवेशक है। उसने 12 जनवरी को 50 रुपये में 1000 शेयर खरीदे। फिर उसने अपने 1000 शेयर 60 रुपये में बेच दिए। इंट्राडे इक्विटी ट्रेडिंग के अनुसार, इस लेनदेन पर लगाया जाने सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स वाला एसटीटी 0.025% होगा।

आइए इस लेनदेन पर एसटीटी की जल्दी से गणना करें-

एसटीटी = 0.025% x 60 x 1000 = 15 रु.

इसी तरह, फ्यूचर और ऑप्शन के लिए STT क्रमशः 0.01% और 0.017% है।

इसके अलावा, उन सिक्योरिटीज को जानना महत्वपूर्ण है जिन पर STT लागू होता है।

सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट एक्ट सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स 1956 के अनुसार, STT निम्नलिखित प्रकार की प्रतिभूतियों पर लागू होता है।

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शेयर बाजारों में छद्म सौदों के जरिए कर चोरी पर अंकुश लगाने पर सरकार ने कहा कि LTCG टैक्‍स से छूट तभी मिलेगी जबकि STT शेयरों की खरीद पर लिया गया हो।

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