RBI का डिजिटल रुपी क्या है और यह कैसे काम करेगा?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को देश की पहली डिजिटल करेंसी के रूप में ई-रुपी (e-rupee) का पायलट लॉन्च कर दिया है। इसका इस्तेमाल विशेष उपयोग के मामलों में किया जाएगा। RBI की ओर से कहा गया है कि शुरुआत में देश के नौ बैंक इस ई-रुपी का उपयोग सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन निपटाने के लिए करेंगे। ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या है ई-रुपी और यह करेंसी के रूप में कैसे काम करेगा।
RBI ने क्या जारी किया है बयान?
RBI द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लाने की अपनी योजना की दिशा में ई-रुपी का पहला पायलट परीक्षण एक नवंबर को शुरू होगा। इसमें देश के नौ बैंक शामिल होंगे और वह सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन के निपटान में इसका उपयोग करेंगे। इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC, ICICI, कोटक महिंद्रा, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC शामिल है।
क्या है ई-रुपी?
RBI ने डिजिटल करेंसी यानी ई-रुपी को CBDC नाम दिया है। यह किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है, लेकिन इसका रूप अलग होगा। RBI द्वारा जारी डिजिटल करेंसी एक लीगल टेंडर (कानूनी निविदा) है। इसका विनिमय मौजूदा मुद्रा के बराबर होगा और इसे भुगतान, लीगल टेंडर और मूल्य के सुरक्षित स्टोर के रूप लिया जाएगा। यह RBI की बैलेंस शीट पर देनदारी के तौर पर दिखेगी।
कितने प्रकार की होती है CBDC?
केंद्रीय बैंकों द्वारा नियंत्रित डिजिटल करेंसी को दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। पहला प्रकार रिटेल (CBDC-R) और दूसरा प्रकार होलसेल (CBDC-W) होता है। CBDC-R नकदी का इलेक्ट्रॉनिक वर्जन है और यह सबके लिए उपलब्ध होगी। वहीं CBDC-W को चुनिंदा वित्तीय संस्थानों को खास एक्सेस देने के लिए डिजाइन किया जाता है। यह बैंकों के आपसी ट्रांसफर और होलसेल लेनदेन के लिए इस्तेमाल होगी। RBI दोनों ही जारी करने पर विचार कर रहा है।
डिजिटल करेंसी का क्या होगा फायदा?
केंद्रीय बैंक ने कहा कि डिजिटल करेंसी धारक के पास बैंक अकाउंट होना जरूरी नहीं होगा। इसके इस्तेमाल से बड़ी मात्रा में रियल टाइम डाटा उपलब्ध होगा। इसका इस्तेमाल नीति निर्धारण में हो सकेगा। इसी तरह व्यापार में पैसो का लेनदेन आसान होगा, मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के लेनदेन होगा, नकली नोट की समस्या से छुटकारा मिलेगा, नोटों की छपाई का खर्च बचेगा, इसकी अवधि कागज के नोटों की तुलना में अनिश्चित होगी।
CBDC और क्रिप्टोकरेंसी में क्या है अंतर?
RBI की डिजिटल करेंसी क्रिप्टोकरेंसी से कई मायनों में अलग होगी। क्रिप्टोकरेंसी डीसेंट्रलाइज्ड होती हैं और वो लीगल टेंडर नहीं मानी जाती। क्रिप्टोकरेंसी की कीमत बहुत अस्थिर होती है, जबकि CBDC को स्थिरता और सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया है। RBI का कहना है कि क्रिप्टो संपत्ति का प्रसार मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण के खतरे को बढ़ावा दे सकता है। साथ ही यह मौद्रिक नीतियों को भी प्रभावित कर सकती है।
क्या ई-रुपी का इस्तेमाल करना चाहिए और यह गोपनीय होगा?
RBI के अनुसार, बड़े पैमाने पर डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल के लिए इसे गोपनीय रखने की आवश्यकता होगी। हालांकि, डिजिटल लेनदेन में कुछ सबूत होने के कारण यह एक चुनौती हो सकती है। केंद्रीय बैंकों का कहना है कि CBDC के डिजाइन में गोपनीयता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। खासकर नकद भुगतान से जुड़ी गोपनीयता के समान छोटे मूल्य के खुदरा लेनदेन के मामले में यह गोपनीय होना चाहिए। इससे लोगों को अपनी आय गुप्त रखने में मदद मिलेगी।
क्या ई-रुपी के जरिए ऑफलाइन लेनदेन किया जा सकेगा?
RBI ने अभी इस पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन यह एक बड़ी चुनौती है। उसे इसे भी ऑफलाइन मोड में शामिल करना होगा, क्योंकि देश के 80 करोड़ लोग आज भी अच्छी इंटरनेट सुविधा से अछूते हैं। हालांकि, ऑफलाइन मोड में दोहरे खर्च के साथ सुरक्षात्मक खतरे भी हैं। इसमें एक टोकन तकनीकी रूप से CBDC लेजर को अपडेट किए बिना दो बार उपयोग किया जा सकता है, लेकिन लेनदेन की सीमा निर्धारित कर सुरक्षात्मक उपाय कर सकते हैं।
डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा असर?
डिजिटल करेंसी पर RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और धोखाधड़ी आशंका नहीं रहेगी। सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले लेनदेन तक पहुंच होगी और पैसों के देश में आने या बाहर जाने पर बेहतर नियंत्रण होगा। इससे सरकार भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाएं भी बना सकेगी। यह प्रणाली देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी और इसका पूरी अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई देगा।
What is Digital Currency? डिजिटल करेंसी क्या है?
जैसे-जैसे Digital Economy का विस्तार जारी है, Digital Currency का उपयोग भी तेजी से बढ़ रहा है। ये एक Electronic रूप में धन है जो भौतिक धन जैसे Paper Bills या Coins के उपयोग के बिना वस्तुओं और सेवाओं के लिए आदान-प्रदान किया जाता है।
Technology विकसित हो रही है, और इसके परिणामस्वरूप, Digital Currency लगातार भौतिक धन की जगह ले रही है। यहां आपको डिजिटल करेंसी के प्रकार और Digital Currency के फायदे और नुकसान के बारे में जानने की जरूरत है।
Digital Currency क्या है?
जैसे-जैसे Technology आगे बढ़ती है, वैसे ही डिजिटल करेंसी भी होती है। Digital-Based Money का प्रारंभिक रूप Bank accounts के बीच नकदी का इलेक्ट्रॉनिक आदान-प्रदान या Credit का उपयोग करने वाला इलेक्ट्रॉनिक भुगतान था। यह अभी भी ज्यादातर Debit या Credit Card द्वारा, बैंक-टू-बैंक इलेक्ट्रॉनिक तारों के साथ, एक Online Payment System, या एक Smartphone के उपयोग से होता है जिसमें उपयोगकर्ता की भुगतान जानकारी होती है।
डिजिटल करेंसी आज भी ज्यादातर Fiat currency की आवाजाही की सुविधा प्रदान करती है – जो U.S. Dollar, Canadian dollar या Euro जैसी सरकार द्वारा जारी और समर्थित है।लेकिन डिजिटल करेंसी में अबCryptocurrency भी शामिल है। बिटकॉइन (CRYPTO:BTC) मूल Cryptocurrencies है और इसे निजी तौर पर इंटरनेट पर Exchange के साधन के रूप में विकसित किया गया था।
2009 में इसके निर्माण के बाद से, Bitcoin को कुछ निवेशकों द्वारा मूल्य के भंडार के रूप में स्वीकार किया गया है (एक संपत्ति जिसे बाद में उचित विश्वास के साथ बचाया जा सकता है, यह मूल्य में कमी नहीं करेगा)। Bitcoin के बाद, Digital Economy और वास्तविक दुनिया में विभिन्न उपयोगों के लिए कई हजार अन्य cryptocurrency विकसित की गई हैं।
कई सरकारें जो Fait Currency जारी करती हैं, वे भी अपनी Digital Currency विकसित करने पर विचार कर रही हैं – Traditional Money का एक प्रकार जो वे पहले से ही बनाते हैं।
Digital Currency के प्रकार :
Central Bank Digital Currencies(CBDC): पैसा जारी करने वाली Government की बढ़ती सूची उनकी Fait Currency के Digital Edition जारी करने पर विचार कर रही है, जिन्हें CBDC के रूप में जाना जाता है। उदाहरण के लिए, चीन सीमा पार से भुगतान की सुविधा और मौजूदा Digital Payment Channels को Bypassed करने के लिए अपने Digital Renminbi (e-RMD) का परीक्षण कर रहा है। U.S अपने स्वयं के CBDC की योजना पर भी काम कर रहा है। अन्य देश, जैसे कि Switzerland, Economy पर CBDC के प्रभाव का अध्ययन करना जारी रखते हैं, लेकिन वर्तमान में उन्हें लागू करने की कोई योजना नहीं है।
Cryptocurrency:
Cryptocurrency को Private Parties, Central Bank या Government Authorities से स्वतंत्र रूप से विकसित किया जाता है। Crypto Currency, Blockchain Technology का उपयोग करते हैं, एक Digital Ledger System जो Crypto लेनदेन को रिकॉर्ड करता है। अधिकांश Cryptocurrency Digital Currency को छेड़छाड़-प्रतिरोधी और Network को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए Cryptography का भी उपयोग करती हैं।
Bitcoin and Ethereum (Crypto: ETH) दो सबसे बड़ी Cryptocurrency हैं। कंपनियों की बढ़ती सूची या तो Blockchain और Crypto विकास पर काम कर रही है या अपने संचालन में Cryptocurrency का उपयोग कर रही है।
Stable Coins:
Stable Coins एक प्रकार की हैं Cryptocurrency और Blockchain Technology और Cryptography का उपयोग करते हैं। हालाँकि, उनके और पारंपरिक Cryptocurrency के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है कि Stable Blocks को US Dollar या Gold जैसी Reserve Asset द्वारा समर्थित किया जाता है, और उन्हें पारंपरिक Crypto की तरह मूल्य में उतार-चढ़ाव नहीं करने के लिए Design किया गया है। इसके बजाय वे उस संपत्ति के मूल्य को Track करेंगे जो उनका समर्थन करती है।
Tether (CRYPTO: USDT) वर्तमान में सबसे बड़े स्थिर Crypto में से एक है। Facebook (NASDAQ: U.S Plan) Dai नामक एक Stable Coin परियोजना भी विकसित कर रहा है।
चीन की हाई कोर्ट ने Bitcoin को माना वर्चुअल एसेट, कही यह बड़ी बात
शंघाई के हाई पीपल्स कोर्ट ने अपने WeChat चैनल पर एक स्टेटमेंट जारी कर बिटकॉइन को एक वर्चुअल एसेट मानने की पुष्टि की है
चीन में पिछले वर्ष क्रिप्टो माइनिंग और ट्रेडिंग पर रोक लगाई गई थी
खास बातें
- इस फैसले से चीन में क्रिप्टो से जुड़े लोगों को कुछ राहत मिल सकती है बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी
- यह मामला बिटकॉइन लोन की रिकवरी से जुड़ा था
- चीन के पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने डिजिटल युआन का ट्रायल शुरू किया है
शंघाई के हाई कोर्ट ने बिटकॉइन को एक वर्चुअल एसेट करार दिया है जिसे चीन के कानून के तहत सुरक्षा प्राप्त है. पिछले वर्ष दायर एक कानूनी मामले को लेकर यह फैसला किया गया है. यह मामला बिटकॉइन लोन की रिकवरी से जुड़ा था. इस फैसले से चीन में क्रिप्टो से जुड़े लोगों को कुछ राहत मिल सकती है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शंघाई के हाई पीपल्स कोर्ट बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी ने अपने WeChat चैनल पर एक स्टेटमेंट जारी कर बिटकॉइन को एक वर्चुअल एसेट मानने की पुष्टि की है. इसमें कहा गया है कि बिटकॉइन की एक विशेष इकोनॉमिक वैल्यू है और प्रॉपर्टी राइट्स के लिए सुरक्षा से जुड़े नियम इस पर लागू होते हैं.
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यह फैसला दो व्यक्तियों के बीच बिटकॉइन से जुड़े विवाद के एक मामले में दिया गया है. इसमें एक व्यक्ति ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मामला दायर कर एक अन्य व्यक्ति से उसके एक बिटकॉइन को लौटाने की मांग की थी. इसमें जिस व्यक्ति के खिलाफ मामला दायर किया गया था वह बिटकॉइन को लौटाने में नाकाम रहा था. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में मध्यस्थता की थी.
दोनों पक्षों में यह सहमति बनी कि बिटकॉइन लेने वाले व्यक्ति लोन लेने के समय बिटकॉइन की वैल्यू से कुछ कम पर मुआवजे का भुगतान करेगा. कोर्ट का यह फैसला महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह तय होता है कि चीन के कानून के तहत वर्चुअल एसेट्स को कैसे लिया जाएगा.
चीन में पिछले वर्ष क्रिप्टो माइनिंग पर बैन लगने के बाद से इससे जुड़े अधिकतर लोग अमेरिका, ईरान और कजाकिस्तान जैसे अन्य देशों में काम कर रहे हैं. पिछले वर्ष जुलाई तक बिटकॉइन के माइनर्स में से लगभग 35.4 प्रतिशत अमेरिका में था. इससे अमेरिका क्रिप्टो माइनिंग का एक बड़ा सेंटर बन गया था.
चीन के पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) ने अपने डिजिटल युआन का ट्रायल शुरू किया है. PBoC इसके ट्रायल में शामिल शहरों की संख्या बढ़ा रहा है. इन शहरों में इस वर्ष एशियन गेम्स की मेजबानी करने वाला Hangzhou भी शामिल है. इस ट्रायल में प्राइवेसी की सुरक्षा और अपराध को रोकने पर जोर दिया जाएगा. प्राइवेट डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की तेज ग्रोथ के मद्देनजर डिजिटल युआन को लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है. PBoC का उद्देश्य इस डिजिटल करेंसी के जरिए मार्केट में कॉम्पिटिशन बढ़ाना है.
RBI का डिजिटल रुपी क्या है और यह कैसे काम करेगा?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को देश की पहली डिजिटल करेंसी के रूप में ई-रुपी (e-rupee) का पायलट लॉन्च कर दिया है। इसका इस्तेमाल विशेष उपयोग के मामलों में किया जाएगा। RBI की ओर से कहा गया है कि शुरुआत में देश के नौ बैंक इस ई-रुपी का उपयोग सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन निपटाने के लिए करेंगे। ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या है ई-रुपी और यह करेंसी के रूप में कैसे काम करेगा।
RBI ने क्या जारी किया है बयान?
RBI द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लाने की अपनी योजना की दिशा में ई-रुपी का पहला पायलट परीक्षण एक नवंबर को शुरू होगा। इसमें देश के नौ बैंक शामिल होंगे और वह सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन के निपटान में इसका उपयोग करेंगे। इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC, ICICI, कोटक महिंद्रा, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC शामिल है।
क्या है ई-रुपी?
RBI ने डिजिटल करेंसी यानी ई-रुपी को CBDC नाम दिया है। यह किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है, लेकिन इसका रूप अलग होगा। RBI द्वारा जारी डिजिटल करेंसी एक लीगल टेंडर (कानूनी निविदा) है। इसका विनिमय मौजूदा मुद्रा के बराबर होगा और इसे भुगतान, लीगल टेंडर और मूल्य के सुरक्षित स्टोर के रूप लिया जाएगा। यह RBI की बैलेंस शीट पर देनदारी के तौर पर दिखेगी।
कितने प्रकार की होती है CBDC?
केंद्रीय बैंकों द्वारा नियंत्रित डिजिटल करेंसी को दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। पहला प्रकार रिटेल (CBDC-R) और दूसरा प्रकार होलसेल (CBDC-W) होता है। CBDC-R नकदी का इलेक्ट्रॉनिक वर्जन है और यह सबके लिए उपलब्ध होगी। वहीं CBDC-W को चुनिंदा वित्तीय संस्थानों को खास एक्सेस देने के लिए डिजाइन किया जाता है। यह बैंकों के आपसी ट्रांसफर और होलसेल लेनदेन के लिए इस्तेमाल होगी। RBI दोनों ही जारी करने पर विचार कर रहा है।
डिजिटल करेंसी का क्या होगा फायदा?
केंद्रीय बैंक ने कहा कि डिजिटल करेंसी धारक के पास बैंक अकाउंट होना जरूरी नहीं होगा। इसके इस्तेमाल से बड़ी मात्रा में रियल टाइम डाटा उपलब्ध होगा। इसका इस्तेमाल नीति निर्धारण में हो सकेगा। इसी तरह व्यापार में पैसो का लेनदेन आसान होगा, मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के लेनदेन होगा, नकली नोट की समस्या से छुटकारा मिलेगा, नोटों की छपाई का खर्च बचेगा, इसकी अवधि कागज के नोटों की तुलना में अनिश्चित होगी।
CBDC और क्रिप्टोकरेंसी में क्या है अंतर?
RBI की डिजिटल करेंसी क्रिप्टोकरेंसी से कई मायनों में अलग होगी। क्रिप्टोकरेंसी डीसेंट्रलाइज्ड होती हैं और वो लीगल टेंडर नहीं मानी जाती। क्रिप्टोकरेंसी की कीमत बहुत अस्थिर होती है, जबकि CBDC को स्थिरता और सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया है। RBI का कहना है कि क्रिप्टो संपत्ति का प्रसार मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण के खतरे को बढ़ावा दे सकता है। साथ ही यह मौद्रिक नीतियों को भी प्रभावित कर सकती है।
क्या ई-रुपी का इस्तेमाल करना चाहिए और यह गोपनीय होगा?
RBI के अनुसार, बड़े पैमाने पर डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल के लिए इसे गोपनीय रखने की आवश्यकता होगी। हालांकि, डिजिटल लेनदेन में कुछ सबूत होने के कारण यह एक चुनौती हो सकती है। केंद्रीय बैंकों का कहना है कि CBDC के डिजाइन में गोपनीयता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। खासकर नकद भुगतान से जुड़ी गोपनीयता के समान छोटे मूल्य के खुदरा लेनदेन के मामले में यह गोपनीय होना चाहिए। इससे लोगों को अपनी आय गुप्त रखने में मदद मिलेगी।
क्या ई-रुपी के जरिए ऑफलाइन लेनदेन किया जा सकेगा?
RBI ने अभी इस पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन यह एक बड़ी चुनौती है। उसे इसे भी ऑफलाइन मोड में शामिल करना होगा, क्योंकि देश के 80 करोड़ लोग आज भी अच्छी इंटरनेट सुविधा से अछूते हैं। हालांकि, ऑफलाइन मोड में दोहरे खर्च के साथ सुरक्षात्मक खतरे भी हैं। इसमें एक टोकन तकनीकी रूप से CBDC लेजर को अपडेट किए बिना दो बार उपयोग किया जा सकता है, लेकिन लेनदेन की सीमा निर्धारित कर सुरक्षात्मक उपाय कर सकते हैं।
डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा असर?
डिजिटल करेंसी पर RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और धोखाधड़ी आशंका नहीं रहेगी। सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले लेनदेन तक पहुंच होगी और पैसों के देश में आने या बाहर जाने पर बेहतर नियंत्रण होगा। इससे सरकार भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाएं भी बना सकेगी। यह प्रणाली देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी और इसका पूरी अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई देगा।
चीन की हाई कोर्ट ने Bitcoin को माना वर्चुअल एसेट, कही यह बड़ी बात
शंघाई के हाई पीपल्स कोर्ट ने अपने WeChat चैनल पर एक स्टेटमेंट जारी कर बिटकॉइन को एक वर्चुअल एसेट मानने की पुष्टि की है
चीन में पिछले वर्ष क्रिप्टो माइनिंग और ट्रेडिंग पर रोक लगाई गई थी
खास बातें
- इस फैसले से चीन में क्रिप्टो से जुड़े लोगों को कुछ राहत मिल सकती है
- यह मामला बिटकॉइन लोन की रिकवरी से जुड़ा था
- चीन के पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने डिजिटल युआन का ट्रायल शुरू किया है
शंघाई के हाई कोर्ट ने बिटकॉइन को एक वर्चुअल एसेट करार दिया है जिसे चीन के कानून के तहत सुरक्षा प्राप्त है. पिछले वर्ष दायर एक कानूनी मामले को लेकर यह फैसला किया गया है. यह मामला बिटकॉइन लोन की रिकवरी से जुड़ा था. इस फैसले से चीन में क्रिप्टो से जुड़े लोगों को कुछ राहत मिल सकती है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शंघाई के हाई पीपल्स कोर्ट ने अपने WeChat चैनल पर एक स्टेटमेंट जारी कर बिटकॉइन को एक वर्चुअल एसेट मानने की पुष्टि की है. इसमें कहा गया है कि बिटकॉइन की एक विशेष इकोनॉमिक वैल्यू है और प्रॉपर्टी राइट्स के लिए सुरक्षा से जुड़े नियम इस पर लागू होते हैं.
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यह फैसला दो व्यक्तियों के बीच बिटकॉइन से जुड़े विवाद के एक मामले में दिया गया है. इसमें एक व्यक्ति ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मामला दायर कर एक अन्य व्यक्ति से उसके एक बिटकॉइन को लौटाने की मांग की थी. इसमें जिस व्यक्ति के खिलाफ मामला दायर किया गया था वह बिटकॉइन को लौटाने में नाकाम रहा था. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में मध्यस्थता की थी.
दोनों पक्षों में यह सहमति बनी कि बिटकॉइन लेने वाले बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी व्यक्ति लोन लेने के समय बिटकॉइन की वैल्यू से कुछ कम पर मुआवजे का भुगतान करेगा. कोर्ट का यह फैसला महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह तय होता है कि चीन के कानून के तहत वर्चुअल एसेट्स को कैसे लिया जाएगा.
चीन में पिछले वर्ष क्रिप्टो माइनिंग पर बैन लगने के बाद से इससे जुड़े अधिकतर लोग अमेरिका, ईरान और कजाकिस्तान जैसे अन्य देशों में काम कर रहे हैं. पिछले वर्ष जुलाई तक बिटकॉइन के माइनर्स में से लगभग 35.4 प्रतिशत अमेरिका में था. इससे अमेरिका क्रिप्टो माइनिंग का एक बड़ा सेंटर बन गया था.
चीन के पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) ने अपने डिजिटल युआन का ट्रायल शुरू किया है. PBoC इसके ट्रायल में शामिल शहरों की संख्या बढ़ा रहा है. इन शहरों में इस वर्ष एशियन गेम्स की मेजबानी करने वाला Hangzhou भी शामिल है. इस ट्रायल में प्राइवेसी की सुरक्षा और अपराध को रोकने पर जोर दिया जाएगा. प्राइवेट डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की तेज ग्रोथ के मद्देनजर डिजिटल युआन को लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है. PBoC का उद्देश्य इस डिजिटल करेंसी के जरिए मार्केट में कॉम्पिटिशन बढ़ाना है.
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