Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: August 13, 2022 9:48 IST

परिभाषा विदेशी मुद्रा

मुद्रा शब्द का सबसे आम उपयोग विदेशी मुद्रा से जुड़ा हुआ है। इसलिए, इसका अर्थ स्पीकर की स्थिति पर निर्भर करता है। अर्जेंटीना, चिली और उरुग्वे में, तीन मामलों का हवाला देते हुए, डॉलर एक मुद्रा है। दूसरी ओर, संयुक्त राज्य में, यह नहीं है, क्योंकि यह इसकी राष्ट्रीय मुद्रा है। इसका मतलब है कि कोई भी इकाई अपने आप में एक मुद्रा नहीं है।

विदेशी मुद्रा की खरीद और बिक्री के माध्यम से पैसा कमाने के लिए कुछ ज्ञान होना आवश्यक है, एक अच्छे अंतर्ज्ञान के साथ और, कई अन्य मामलों में, भाग्य का थोड़ा सा। एक सफल लेनदेन के लिए पहला कदम उस सबसे लाभदायक विदेशी मुद्रा रणनीति क्या है? मुद्रा के लिए विनिमय दर की जांच करना है जो हमें उस ब्याज पर आधारित है जिसे हम बेचना चाहते हैं, हाल के दिनों में इसके मूल्यों के उतार-चढ़ाव पर विशेष ध्यान दे रहा है।

मुद्रा मूल्यों का उतार-चढ़ाव बहुत आम है, और कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि सरकारी अस्थिरता या यहां तक ​​कि एक प्राकृतिक तबाही भी। एक बार यह सब समझ में आने के बाद, हमें एक ऐसी रणनीति का विस्तार करना चाहिए जो उन मुद्राओं की खरीद पर ध्यान केंद्रित करती है जिनके मूल्य पर हम विश्वास करते हैं कि वे दूसरों का उपयोग करके बढ़ेंगे, जिनके मूल्य के बारे में हमारा मानना ​​है कि कमी होगी।

यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि इस सबसे लाभदायक विदेशी मुद्रा रणनीति क्या है? प्रकार के संचालन में हमेशा प्रत्येक निवेश की परिमाण के लिए आनुपातिक जोखिम होता है, यही कारण है कि हमें एक कदम उठाने से पहले आश्वस्त होना चाहिए। निवेशकों के सबसे लाभदायक विदेशी मुद्रा रणनीति क्या है? बीच एक बहुत ही सामान्य अभ्यास तथाकथित "उत्तोलन" है, जिसमें नई मुद्राओं की खरीद से निपटने के लिए पैसे उधार लेना शामिल है। बेशक, यह दांव काफी कर्ज चुकाने के लिए पैसा खोने के जोखिम को जोड़ता है।

यद्यपि विदेशी मुद्रा व्यापार पहली बार में भारी लग सकता है, क्योंकि संभावित लाभ असाध्य हैं, इसलिए हमें पैसे खोने के डर के कारण निवेशक बनने की अपनी इच्छा को नहीं छोड़ना चाहिए। सौभाग्य से, अधिकांश ऑनलाइन बाजारों में हमारे पास सिमुलेशन प्रदर्शन करने के लिए एक खाता बनाने की संभावना है, सीखने का सबसे अच्छा तरीका जब तक हमें यकीन नहीं है कि हम "वास्तविक दुनिया में" जा सकते हैं।

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

भारत जीडीपी के संदर्भ में वि‍श्‍व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है । यह अपने भौगोलि‍क आकार के संदर्भ में वि‍श्‍व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्‍या की दृष्‍टि‍ से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधि‍त मुद्दों के बावजूद वि‍श्‍व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्‍वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्‍त करने की दृष्‍टि‍ से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्‍मूलन और रोजगार उत्‍पन्‍न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।

इति‍हास

ऐति‍हासि‍क रूप से भारत एक बहुत वि‍कसि‍त आर्थिक व्‍यवस्‍था थी जि‍सके वि‍श्‍व के अन्‍य भागों के साथ मजबूत व्‍यापारि‍क संबंध थे । औपनि‍वेशि‍क युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रि‍टि‍श भारत से सस्‍ती दरों पर कच्‍ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्‍य मूल्‍य से कहीं अधि‍क उच्‍चतर कीमत पर बेचा जाता था जि‍सके परि‍णामस्‍वरूप स्रोतों का द्धि‍मार्गी ह्रास होता था । इस अवधि‍ के दौरान वि‍श्‍व की आय में भारत का हि‍स्‍सा 1700 ए डी के 22.3 प्रति‍शत से गि‍रकर 1952 में 3.8 प्रति‍शत रह गया । 1947 में भारत के स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात अर्थव्‍यवस्‍था की पुननि‍र्माण प्रक्रि‍या प्रारंभ हुई । इस उद्देश्‍य से वि‍भि‍न्‍न नीति‍यॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्‍यम से कार्यान्‍वि‍त की गयी ।

1991 में भारत सरकार ने महत्‍वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्‍तुत कि‍ए जो इस दृष्‍टि‍ से वृहद प्रयास थे जि‍नमें वि‍देश व्‍यापार उदारीकरण, वि‍त्तीय उदारीकरण, कर सुधार और वि‍देशी नि‍वेश के प्रति‍ आग्रह शामि‍ल सबसे लाभदायक विदेशी मुद्रा रणनीति क्या है? था । इन उपायों ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को गति‍ देने में मदद की तब से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था बहुत आगे नि‍कल आई है । सकल स्‍वदेशी उत्‍पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्‍टर लागत पर) जो 1951 - 91 के दौरान 4.34 प्रति‍शत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रति‍शत के रूप में बढ़ गयी ।

कृषि‍

कृषि‍ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है जो न केवल इसलि‍ए कि‍ इससे देश की अधि‍कांश जनसंख्‍या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्‍कि‍ इसलि‍ए भी भारत की आधी से भी अधि‍क आबादी प्रत्‍यक्ष रूप से जीवि‍का के लि‍ए कृषि‍ पर नि‍र्भर है ।

वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपायों के द्वारा कृषि‍ उत्‍पादन और उत्‍पादकता में वृद्धि‍ हुई, जि‍सके फलस्‍वरूप एक बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्‍त हुई । कृषि‍ में वृद्धि‍ ने अन्‍य क्षेत्रों में भी अधि‍कतम रूप से अनुकूल प्रभाव डाला जि‍सके फलस्‍वरूप सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था में और अधि‍कांश जनसंख्‍या तक लाभ पहुँचे । वर्ष 2010 - 11 में 241.6 मि‍लि‍यन टन का एक रि‍कार्ड खाद्य उत्‍पादन हुआ, जि‍समें सर्वकालीन उच्‍चतर रूप में गेहूँ, मोटा अनाज और दालों का उत्‍पादन हुआ । कृषि‍ क्षेत्र भारत के जीडीपी का लगभग 22 प्रति‍शत प्रदान करता है ।

उद्योग

औद्योगि‍क क्षेत्र भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लि‍ए महत्‍वपूर्ण है जोकि‍ वि‍भि‍न्‍न सामाजि‍क, आर्थिक उद्देश्‍यों की पूर्ति के लि‍ए आवश्‍यक है जैसे कि‍ ऋण के बोझ को कम करना, वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश आवक (एफडीआई) का संवर्द्धन करना, आत्‍मनि‍र्भर वि‍तरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परि‍दृय को वैवि‍ध्‍यपूर्ण और आधुनि‍क बनाना, क्षेत्रीय वि‍कास का संर्वद्धन, गरीबी उन्‍मूलन, लोगों के जीवन स्‍तर को उठाना आदि‍ हैं ।

स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात भारत सरकार देश में औद्योगि‍कीकरण के तीव्र संवर्द्धन की दृष्‍टि‍ से वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपाय करती रही है । इस दि‍शा में प्रमुख कदम के रूप में औद्योगि‍क नीति‍ संकल्‍प की उदघोषणा करना है जो 1948 में पारि‍त हुआ और उसके अनुसार 1956 और 1991 में पारि‍त हुआ । 1991 के आर्थिक सुधार आयात प्रति‍बंधों को हटाना, पहले सार्वजनि‍क क्षेत्रों के लि‍ए आरक्षि‍त, नि‍जी क्षेत्रों में भागेदारी, बाजार सुनि‍श्‍चि‍त मुद्रा वि‍नि‍मय दरों की उदारीकृत शर्तें ( एफडीआई की आवक / जावक हेतु आदि‍ के द्वारा महत्‍वपूर्ण नीति‍गत परि‍वर्तन लाए । इन कदमों ने भारतीय उद्योग को अत्‍यधि‍क अपेक्षि‍त तीव्रता प्रदान की ।

आज औद्योगि‍क क्षेत्र 1991-92 के 22.8 प्रति‍शत से बढ़कर कुल जीडीपी का 26 प्रति‍शत अंशदान करता है ।

सेवाऍं

आर्थिक उदारीकरण सेवा उद्योग की एक तीव्र बढ़ोतरी के रूप में उभरा है और भारत वर्तमान समय में कृषि‍ आधरि‍त अर्थव्‍यवस्‍था से ज्ञान आधारि‍त अर्थव्‍यवस्‍था के रूप में परि‍वर्तन को देख रहा है । आज सेवा क्षेत्र जीडीपी के लगभग 55 प्रति‍शत ( 1991-92 के 44 प्रति‍शत से बढ़कर ) का अंशदान करता है जो कुल रोजगार का लगभग एक ति‍हाई है और भारत के कुल नि‍र्यातों का एक ति‍हाई है

भारतीय आईटी / साफ्टेवयर क्षेत्र ने एक उल्‍लेखनीय वैश्‍वि‍क ब्रांड पहचान प्राप्‍त की है जि‍सके लि‍ए नि‍म्‍नतर लागत, कुशल, शि‍क्षि‍त और धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलनी वाली जनशक्‍ति‍ के एक बड़े पुल की उपलब्‍धता को श्रेय दि‍या जाना चाहि‍ए । अन्‍य संभावना वाली और वर्द्धित सेवाओं में व्‍यवसाय प्रोसि‍स आउटसोर्सिंग, पर्यटन, यात्रा और परि‍वहन, कई व्‍यावसायि‍क सेवाऍं, आधारभूत ढॉंचे से संबंधि‍त सेवाऍं और वि‍त्तीय सेवाऍं शामि‍ल हैं।

बाहय क्षेत्र

1991 से पहले भारत सरकार ने वि‍देश व्‍यापार और वि‍देशी नि‍वेशों पर प्रति‍बंधों के माध्‍यम से वैश्‍वि‍क प्रति‍योगि‍ता से अपने उद्योगों को संरक्षण देने की एक नीति‍ अपनाई थी ।

उदारीकरण के प्रारंभ होने से भारत का बाहय क्षेत्र नाटकीय रूप से परि‍वर्तित हो गया । वि‍देश व्‍यापार उदार और टैरि‍फ एतर बनाया गया । वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश सहि‍त वि‍देशी संस्‍थागत नि‍वेश कई क्षेत्रों में हाथों - हाथ लि‍ए जा रहे हैं । वि‍त्‍तीय क्षेत्र जैसे बैंकिंग और बीमा का जोरदार उदय हो रहा है । रूपए मूल्‍य अन्‍य मुद्राओं के साथ-साथ जुड़कर बाजार की शक्‍ति‍यों से बड़े रूप में जुड़ रहे हैं ।

आज भारत में 20 बि‍लि‍यन अमरीकी डालर (2010 - 11) का वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश हो रहा है । देश की वि‍देशी मुद्रा आरक्षि‍त (फारेक्‍स) 28 अक्‍टूबर, 2011 को 320 बि‍लि‍यन अ.डालर है । ( 31.5.1991 के 1.2 बि‍लि‍यन अ.डालर की तुलना में )

भारत माल के सर्वोच्‍च 20 नि‍र्यातकों में से एक है और 2010 में सर्वोच्‍च 10 सेवा नि‍र्यातकों में से एक है ।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में जबरदस्त उछाल, 575 अरब डॉलर के पार पहुंचा

विदेशी मुद्रा भंडार (प्रतीकात्मक तस्वीर)

देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves/Forex Reserves) 20 नवंबर को खत्म हुए हफ्ते में 2.518 अरब डॉलर बढ़ . अधिक पढ़ें

  • भाषा
  • Last Updated : November 27, 2020, 22:43 IST

मुंबई. देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves/Forex Reserves) 20 नवंबर को खत्म हुए हफ्ते में 2.518 अरब डॉलर बढ़कर 575.29 अरब डालर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने शुक्रवार को इसके आंकड़े जारी किए. इससे पिछले 13 नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 4.277 अरब डॉलर की भारी वृद्धि के साथ 572.771 अरब डॉलर हो गया था.

एफसीए बढ़कर 533.103 अरब डॉलर हुई
समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने की बड़ी वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets) का बढ़ना है. ये परिसंपत्तियां कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार समीक्षावधि में एफसीए 2.835 अरब डॉलर बढ़कर 533.103 अरब डॉलर हो गईं. एफसीए को दर्शाया डॉलर में जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्राएं भी शामिल होती है.

देश के स्वर्ण भंडार में गिरावट
समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान देश का स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) का मूल्य 33.9 करोड़ डॉलर घटकर 36.015 अरब डॉलर रहा. देश को अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष (International Monetary Fund) में मिला विशेष आहरण अधिकार 40 लाख डॉलर की मामूली वृद्धि के साथ 1.492 अरब डॉलर और आईएमएफ के पास जमा मुद्रा भंडार 1.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.680 अरब डॉलर रहा.

Q2FY21 GDP: जुलाई-सितंबर में जीडीपी 7.5 फीसदी गिरी
वहीं, केंद्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 (FY 2020-21) की दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर तिमाही के आंकड़े जारी कर दिए हैं. दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी (GDP) -7.5 फीसदी रही है. हालांकि ये आंकडे अप्रैल-मई-जून तिमाही के मुकाबले काफी बेहतर हैं. लेकिन लगातार दो तिमाही में निगेटिव ग्रोथ को तकनीकी तौर पर मंदी माना जाता है. शुक्रवार शाम सरकार ने जीडीपी के आंकड़े जारी किए.

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Pakistan News: पाकिस्तान की हालत कंगाल, खाली हो रहा विदेशी मुद्रा भंडार, बढ़ा कर्ज, टूटा महंगाई का रिकॉर्ड

Pakistan News: पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 2 अरब डॉलर से अधिक गिरा है। महंगाई दर में भी 13 साल में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है।

Deepak Vyas

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: August 13, 2022 9:48 IST

Pakistan Economy Collapse- India TV Hindi

Image Source : INDIA TV Pakistan Economy Collapse

Highlights

  • महंगाई दर में 13 साल की सबसे बड़ी गिरावट
  • पाकिस्तान की खराब नीतियां कंगाली के लिए जिम्मेदार
  • पैसे के लिए सरकारी संपत्तियां बेचने की हद तक पहुंचा

Pakistan News: भारत के साथ ही पाकिस्तान भी अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे कर रहा है। 75 वर्ष पूरे करने पर पाकिस्तान जश्न जरूर मना रहा है, पर उसके पास ऐसा कुछ खास कारण नहीं है कि वह जश्न मना सके। वहां की जनता की महंगाई ने कमर तोड़ दी है। विदेशी मुद्र भंडार इतना कम हो गया है कि कंगाली की हालत में वह कटोरा लेकर अरब देशों और अंतरराष्ट्रीय बैंकों के आगे हाथ जोड़ता नजर आ रहा है। हालात यह हैं कि वहां चाहे इमरान खान पीएम रहे हों या वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ हों, पाकिस्तान हर कार्यकाल में रसातल में ही गया है। शहबाज शरीफ को तो अरब देशों ने लोन देने से ही मना कर दिया, तब जाकर खुद पाकिस्तान के जनरल बाजवा ने मदद की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें भी कोरे आश्वासन ही मिले। अभी तक देश कंगाली की हालत, कमरतोड़ महंगाई और गिरते विदेशी मुद्रा भंडार से चिंतित है। हालत यह है कि उसकी अर्थव्यवस्था कर्ज पर ही चल रही है।

महंगाई दर में 13 साल की सबसे बड़ी गिरावट

ताजा आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 2 अरब डॉलर से अधिक गिरा है। अहम बात यह है कि विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त के पहले सप्ताह में 14 अरब डॉलर के स्तर से भी नीचे जा चुका है। महंगाई दर में भी 13 साल में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है। इस साल जून माह में महंगाई दर 21.3 फीसदी पहुंच गई थी। इससे पहले 2008 के दिसंबर माह में पाकिस्तान में महंगाई दर 23.3 फीसदी रही थी। इस समय पाकिस्तान को 39.58 अरब डॉलर का कारोबार घाटा हो रहा है। हालात ऐसे हैं कि विदेशी मुद्रा खत्म हो रही है। लेकिन आयात बिल बढ़े हैं।

पाक की खस्ता हालत के लिए क्या बातें हैं जिम्मेदार?

पाकिस्तान की खराब नीतियां और देश को साथ लेकर चलने की बजाय हुक्मरानों द्वारा 'अपनी' और 'अपने' लोगों की झोलियां भरना, राजनीतिक अस्थिरता और लोकतंत्र की बजाय सैन्य ताकत से सत्ता का निर्धारण, ये ऐसे अहम कारण हैं जो पाकिस्तान को बर्बादी की राह पर ले गए। आजादी के बाद से अब तक पाकिस्तान में एक भी सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी है। इस बात से साबित होता है कि इस देश में आतंकियों को पनाह मिल जाती है। लेकिन स्थायित्व के साथ विकास, आर्थिक तरक्की ये सबकुछ पीछे छूट जाता है।

पाकिस्तान में कमरतोड़ महंगाई से हाहाकार

पाकिस्तान में महंगाई किस कदर है इसका अंदाजा ​इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस समय एक लीटर पेट्रोल के लिए वहां 248 रुपए देना पड़ रहे हैं। वहीं डीजल के भाव 263 रुपए प्रति लीटर है।

पाकिस्तान की निगाहें लगी हैं मुद्राकोष पर

कंगाल पाकिस्तान की निगाहें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ से लगी हुई हैं। पाकिस्तान को उम्मीद है वहां से 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता मिल जाएगी, लेकिन ये पैकेज भी तभी मिलेगा, जब वह इसकी शर्तों पर खरा उतरे। इन शर्तों को पूरा करना भी पाकिस्तानक के लिए मुश्किल हो रहा है।

पैसे के लिए सरकारी संपत्तियां बेचने की हद तक पहुंचा

कंगाल होने के खतरे को भांपते हुए पाकिस्तान के संघीय मंत्रिमंडल ने पिछले दिनों उस बिल को मंजूरी दे दी है, जिसमें सरकारी संपत्तियों अब दूसरे देशों को बेची जा सकेंगी। इस बिल में सभी निर्धारित प्रक्रिया और अन्य आवश्यक नियमों से अलग हटकर सरकारी संपत्तियां दूसरे देशों में बेचने का प्रावधान किया गया है। यह फैसला देश के दिवालिया होने के खतरे को टालने के लिए लिया है। जानकारी के मुताबिक इस बिल में ये व्यवस्था की गई है कि सरकार की संपत्ति की हिस्सेदारी दूसरे देशों को बेचने के खिलाफ यदि किसी ने याचिका दायर भी की तो अदालत इसकी सुनवाई नहीं कर सकेगी।

पाक इकोनॉमिस्ट दे चुके हैं चेतावनी

पाकिस्‍तानी मूल के टॉप इकोनॉमिस्‍ट आतिफ मियां ने हाल के समय में देश की स्‍थ‍िति को लेकर बड़ी चेतावनी दी। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्तानी रुपए की कीमत गिरने के बाद स्थिति और बिगड़ने वाली है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी रुपए डॉलर के मुकाबले 20 फीसदी नीचे गिर गया। उन्‍होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती जो पाकिस्‍तान के सामने है, वो है विश्‍वसनीयता के साथ निवेशकों और जनता को वापस लाना। उन्‍होंने लिखा है कि विदेशों की दया पर निर्भर पाकिस्‍तान सबकुछ खो चुका है। सरकारें सत्ता बचाने या नई सरकार के सामने आर्थिक संकट खड़ा करने के प्रयासों के बीच इकोनॉमिस्ट कह रहे हैं कि राजनीतिक तबका इस पाप का सबसे बड़ा भागीदार है। देश में ऊर्जा से लेकर दवाएं यहां तक कि लिए जरूरी खाद्यान्न तक विदेशी मुद्रा खर्च करके बाहर से बुलाना पड़ रहा है।

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निवेशकों को बेहतर प्रतिफल के लिए एलआईसी की उत्पाद रणनीति में बदलाव चाहती है सरकार

निवेशकों को बेहतर प्रतिफल के लिए एलआईसी की उत्पाद रणनीति में सरकार बदलाव चाहती है. वित्त मंत्रालय कंपनी के प्रदर्शन की समीक्षा के दौरान एलआईसी प्रबंधन को उन कदमों के बारे में जागरूक कर रहा है, जो निवेशकों की पूंजी बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं.

Published: October 26, 2022 3:26 PM IST

LIC India

सरकार देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की वृद्धि की पूर्ण क्षमता हासिल करने और निवेशकों को बेहतर रिटर्न के लिए अपनी उत्पाद रणनीति में बदलाव के लिए ‘प्रेरित’ कर रही है. एक अधिकारी ने सबसे लाभदायक विदेशी मुद्रा रणनीति क्या है? यह जानकारी दी.

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एलआईसी 17 मई को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हुई थी. तब से कंपनी का शेयर अपने निर्गम मूल्य 949 रुपये से काफी नीचे आ चुका है. कंपनी का शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर 872 रुपये के भाव पर सूचीबद्ध हुआ था. मंगलवार को कंपनी का शेयर 595.50 रुपये पर बंद हुआ.

हालांकि, विदेशी ब्रोकरेज₨ कंपनियां एलआईसी के शेयर को लेकर ‘आशावादी’ हैं. ब्रोकरेज कंपनियों ने अगले साल के लिए कंपनी के शेयर का लक्ष्य काफी ऊंचा तय किया है.

सिटी ने 14 अक्टूबर की एक शोध रिपोर्ट में एलआईसी के शेयर के लिए 1,000 रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि एलआईसी ‘परिपक्व वैश्विक कंपनियों की तुलना में बेहतर स्थिति में है.’

वित्त मंत्रालय कंपनी के प्रदर्शन की समीक्षा के दौरान एलआईसी प्रबंधन को उन कदमों के बारे में जागरूक कर रहा है, जो निवेशकों की पूंजी बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं.

अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘सूचीबद्धता के साथ 65 साल से अधिक पुराने संस्थान के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है.’

उन्होंने कहा कि हम प्रबंधन के साथ काम कर रहे हैं ताकि वे अपने उत्पादों की पेशकश का आधुनिकीकरण करें और पॉलिसीधारकों को कम लाभांश का भुगतान करें.

गैर-भागीदारी वाले बीमा उत्पादों में बीमा कंपनियों को पॉलिसीधारकों को लाभांश के रूप में अपने लाभ को साझा करने की जरूरत नहीं होती. वहीं भागीदारी वाले उत्पादों में बीमा कंपनियों को बीमा कंपनियों को पॉलिसीधारकों को लाभांश देना होता है.

एलआईसी का पहली तिमाही का एकल शुद्ध लाभ 2.94 करोड़ रुपये से बढ़कर 682.88 करोड़ रुपये हो गया.

एलआईसी के आईपीओ से सरकार को 21,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे.

मंगलवार को एलआईसी का शेयर पिछले बंद के मुकाबले 0.72 प्रतिशत की गिरावट के साथ 595.50 रुपये पर बंद हुआ.

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