Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में 19 साल पहले का एक लाख आज 41.46 लाख, जानें कौन सा है यह फंड

ICICI प्रूडेंशियल मल्टी असेट फंड में अगर किसी निवेशक ने 31 अक्टूबर 2002 यानी इस फंड के स्थापना के समय एक लाख रुपए का निवेश किया होगा, तो वह रकम आज 41.46 लाख रुपए हो गई है। इस फंड में सालाना 21.65% चक्रवृद्धि (CAGR) की दर से रिटर्न मिला है।

हाइलाइट्स

  • बड़े-बूढ़े कहते आए हैं, कभी भी सारे अंडों को एक टोकरी में नहीं रखना चाहिए
  • जब आप निवेश करते हैं तो यही कहावत वहां भी लागू होती है
  • यानी सारे पैसे एक ही शेयर या एक ही फंड में निवेश नहीं करना चाहिए
  • शेयर बाजार के जानकार का कहना है कि इस समय बाजार में जिस तरह का माहौल है ऐसे में मल्टी असेट फंड में निवेश ज्यादा मुफीद है

क्या होता है मल्टी असेट फंड
मल्टी असेट फंड मूल रूप से आपके पैसों को कई सेक्टर और शेयर्स में निवेश करता है। यह फंड इक्विटी (Equity Investment) के साथ ही गोल्ड (Gold Investment) और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Exchange Traded Fund) या ईटीएफ (ETF) में पैसे लगाता है। जाने माने फंड मैनेजर (Fund Manager) संकरन नरेन का मानना है कि मल्टी असेट की रणनीति वर्तमान माहौल में एक निवेश योजना स्थापित करें बेहतर रिटर्न देने में सक्षम हो सकती है। मार्च 2020 के दौरान जब बाजार पूरी तरह से नीचे जा रहा था, तब एस. नरेन ने यही कहा था कि बाजार काफी नीचे जा सकता है। निवेशकों के लिए निवेश का अच्छा अवसर बन रहा है। यह सही भी हुआ और बाजार 40 हजार से टूटकर 26 हजार के करीब पहुंच गया।

बाजार चढ़े तो असेट अलोकेशन के बारे में सोचें
ICICI प्रूडेंशियल के मुख्य निवेश अधिकारी (CIO) एस. नरेन कहते हैं कि ऐसे समय में जब बाजार अब ऐतिहासिक ऊंचाई पर है, ऐसे में निवेशक अपने पोर्टफोलियो असेट अलोकेशन के बारे में सोचें। उनका मानना है कि इक्विटीज में ज्यादा फोकस करने की बजाय निवेशकों को अन्य असेट क्लास के बारे में सोचना चाहिए। इसमें डेट, गोल्ड और ग्लोबल फंड्स के साथ रियल इस्टेट भी हो सकता है। एस. नरेन कहते हैं कि मल्टी असेट निवेशकों को यह सुविधा देती है कि वे उतार-चढ़ाव वाले माहौल में बेहतर रिटर्न कमा सकें। इसमें जोखिम भी कम होता है। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में सबसे बड़े मल्टी असेट फंड्स में ICICI प्रूडेंशियल मल्टी असेट का नाम आता है इस स्कीम का असेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 12,405 करोड़ रुपए है। इस कैटेगरी का 65% से ज्यादा AUM इसके पास है।

इक्विटी के साथ गोल्ड और ईटीएफ में भी निवेश
इस स्कीम का प्रबंधन एस. नरेन करते हैं। यह स्कीम 10-80% निवेश इक्विटी में करती है। 10-35% का निवेश गोल्ड और ईटीएफ आदि में होता है। 0-10% का निवेश रियल इस्टेट ट्रस्ट या फिर इनविट्स में होता है। इस बारे में ICICI प्रूडेंशियल के MD & CEO निमेश शाह कहते हैं कि संपत्ति के निर्माण में यह स्कीम बहुत अच्छा काम करती है।

19 साल पहले का एक लाख आज 41.46 लाख
अगर किसी निवेशक ने 31 अक्टूबर 2002 यानी इस फंड के स्थापना के समय एक लाख रुपए का निवेश किया होगा तो वह रकम आज 41.46 लाख रुपए हो गई है। इस फंड में सालाना 21.65% चक्रवृद्धि (CAGR) की दर से रिटर्न मिला है। इसी समय में निफ्टी 50 में 18.21% CAGR की दर से रिटर्न मिला है। यानी एक लाख का निवेश केवल 24.05 लाख रुपए हुआ। असेट अलोकेशन स्कीम लंबे समय में निवेश के लिहाज से अच्छा है। सिस्टैमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) एक बेहतर निवेश का तरीका है। अगर किसी ने इसी स्कीम में मासिक 10 हजार रुपए का SIP किया होगा तो यह रकम आज 1.60 करोड़ रुपए हो गई है। जबकि उसका निवेश केवल 22.9 लाख रुपए था। यानी महीने का 17.78% का CAGR रिटर्न रहा।

आसान रास्ता मल्टी असेट फंड
वे निवेशक, जो तमाम असेट क्लासेस में निवेश करना चाहते हैं, पर उन्हें नहीं पता है कि कैसे वे इसमें निवेश करें तो इसके लिए आसान रास्ता मल्टी असेट फंड का है। मल्टी असेट फंड कम से कम 3 या ज्यादा असेट क्लासेस में निवेश करता है। नरेन के अनुसार, जब एक असेट क्लास पूरी तरह से वैल्यूड होता है तो वह उतार-चढ़ाव के जैसा व्यवहार करता है। मल्टी असेट रणनीति आपको यह सुविधा देती है कि आप एक से दूसरे असेट क्लास में निवेश को स्विच कर सकें। जहां तक असेट अलोकेशन की बात इक्विटीज में है तो यह स्कीम लार्ज, मिड और स्माल कैप में निवेश करती है। यह स्कीम कमोडिटीज में भी एक्सपोजर रखती है ताकि महंगाई की तुलना में इसका लाभ मिल सके। 1 अक्टूबर तक इस स्कीम का इक्विटीज में निवेश 70% रहा। पिछले कुछ महीने से वैल्यू थीम वाले पोर्टफोलियो पर इसका फोकस रहा है। आगे भी यह स्कीम वैल्यू थीम पर ही फोकस कर सकती है। इस पोर्टफोलियो के टॉप 4 सेक्टर्स में ऑटो, पावर, टेलीकॉम और मेटल्स हैं।

मेक इन इंडिया

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भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।

'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।

'मेक इन इंडिया' पहल के संबंध में देश एवं विदेशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। अभियान के शुरु होने के समय से इसकी वेबसाईट पर बारह हजार से अधिक सवाल इनवेस्ट इंडिया के निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ द्वारा प्राप्त किया गया है। जापान, चीन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया जैसे देशों नें विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत में निवेश करने हेतु अपना समर्थन दिखाया है। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत निम्नलिखित पचीस क्षेत्रों - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है की पहचान की गई है:

चुनौतियों का सामना

सरकार ने भारत में व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। कई नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है एवं कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरुरतों से हटाया गया है।

सरकार का लक्ष्य देश में संस्थाओं के साथ-साथ अपेक्षित सुविधाओं के विकास द्वारा व्यापार के लिए मजबूत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। सरकार व्यापार संस्थाओं के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट सिटी का विकास करना चाहती है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है के माध्यम से कुशल मानव शक्ति प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पेटेंट एवं ट्रेडमार्क पंजीकरण प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से अभिनव प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया है और एफडीआई की सीमा को 26% से 49% तक बढ़ाया गया है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति दी गई है। रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है। बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी गई है।

29 दिसंबर 2014 को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद उद्योग से संबंधित मंत्रालय प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं। इस पहल के तहत प्रत्येक मंत्रालय ने अगले एक एवं तीन साल के लिए कार्यवाही योजना की पहचान की है।

कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' निवेशकों और उनकी उम्मीदों से संबंधित भारत में एक व्यवहारगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। 'इनवेस्ट इंडिया' में एक निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। नये निवेशकों को सहायता प्रदान करने के लिए एक अनुभवी दल भी निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ में उपलब्ध है।

निर्माण को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य

  • मध्यम अवधि में निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में प्रति वर्ष 12-14% वृद्धि करने का उद्देश्य
  • 2022 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी में 16% से 25% की वृद्धि
  • विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करना
  • समावेशी विकास के लिए ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीबों के बीच उचित कौशल का निर्माण
  • घरेलू मूल्य संवर्धन और निर्माण में तकनीकी गहराई में वृद्धि
  • भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना
  • विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में एक निवेश योजना स्थापित करें विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना

आर्थिक विकास के आगे की दिशा

  • भारत ने अपनी उपस्थिति दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप दर्ज करायी है
  • 2020 तक इसे दुनिया की शीर्ष तीन विकास अर्थव्यवस्थाओं और शीर्ष तीन निर्माण स्थलों में गिने जाने की उम्मीद है
  • अगले 2-3 दशकों के लिए अनुकूल जनसांख्यिकीय लाभांश। गुणवत्तापूर्ण कर्मचारियों की निरंतर उपलब्धता।
  • जनशक्ति की लागत अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है
  • विश्वसनीयता और व्यावसायिकता के साथ संचालित जिम्मेदार व्यावसायिक घराने
  • घरेलू बाजार में मजबूत उपभोक्तावाद
  • शीर्ष वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा समर्थित मजबूत तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमतायें
  • विदेशी निवेशकों के लिए खुले अच्छी तरह विनियमित और स्थिर वित्तीय बाजार

भारत में परेशानी मुक्त व्यापार

'मेक इन इंडिया' इंडिया' एक क्रांतिकारी विचार है जिसने निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने और देश में विश्व स्तरीय विनिर्माण बुनियादी ढांचे का एक निवेश योजना स्थापित करें निर्माण करने के लिए प्रमुख नई पहलों की शुरूआत की है। इस पहल नें भारत में कारोबार करने की पूरी प्रक्रिया को आसान बना दिया है। नयी डी-लाइसेंसिंग और ढील के उपायों से जटिलता को कम करने और समग्र प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता काफी बढ़ी हैं।

अब जब व्यापार करने की बात आती है तो भारत काफी कुछ प्रदान करता है। अब यह ऐसे सभी निवेशकों के लिए आसान और पारदर्शी प्रणाली प्रदान करता है जो स्थिर अर्थव्यवस्था और आकर्षक व्यवसाय के अवसरों की तलाश कर रहे हैं। भारत में निवेश करने के लिए यह सही समय है जब यह देश सभी को विकास और समृद्धि के मामले में बहुत कुछ प्रदान कर रहा है।

Apple के सप्लायर Foxconn ने बढ़ाया भारत पर अपना फोकस, 4000 करोड़ रुपये की निवेश योजना

मार्गेन स्टेनली के मुताबिक एप्पल का लक्ष्य है कि वो अगले 2-3 साल में कुल आईफोन उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत तक पहुंचा दे. भारत में फिलहाल फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन आईफोन का निर्माण करती हैं

Apple के सप्लायर Foxconn ने बढ़ाया भारत पर अपना फोकस, 4000 करोड़ रुपये की निवेश योजना

चीन की कोविड नीतियों को लेकर जारी अनिश्चितता के बीच सप्लाई में आ रही बाधाओं से निपटने के लिए एप्पल के सप्लायर अब अपना फोकस भारत पर बढ़ा रहे हैं. ऐसे ही एक प्रमुख सप्लायर foxconn ने भारत में निवेश बढ़ाने की अपनी योजना सामने रखी है. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक कंपनी भारत में 50 करोड़ डॉलर यानि 4000 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश की योजना पर काम कर रही है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी भारत पर लगातार फोकस बढ़ा रही है जो एप्पल के लिए एक प्रमुख हार्डवेयर का हब बनता जा रहा है. जानकारों के मुताबिक एप्पल की सप्लायर कंपनियां इस रणनीति के साथ काम कर रही हैं जिससे साल 2025 तक भारत में प्रोडक्शन लाइन इस स्तर तक पहुंच जाएं कि चीन जैसी स्थिति फिर आने पर एप्पल के पार्ट्स की सप्लाई लगातार बनी रहे.

क्या है Foxconn की निवेश योजना

रिपोर्ट के मुताबिक ताइवान में शेयर बाजारों की दी जानकारी में कंपनी ने कहा है कि उसकी सिंगापुर की इकाई भारतीय इकाई हॉन हाई टेक्नोलॉजी इंडिया में निवेश करने जा रही है. Foxconn जिसे हॉन हाई भी कहा जाता है भारत में स्मार्टफोन के निर्माण के लिए प्रोडक्शन लाइन का लगातार विस्तार करने पर जुटी है. दरअसल एप्पल ने भारत में अपनी नई पीढी के एप्पल आईफोन के निर्माण की शुरुआत कर दी जिसके साथ ही उसके सप्लायर भारतीय यूनिट का विस्तार करने में जुट गए हैं. जानकारों के मुताबिक साल 2025 तक भारत में उत्पादित हार्डवेयर की हिस्सेदारी कुल हिस्सेदारी में उस स्तर पर पहुंच जाएगी जहां से वो चीन का विकल्प बन सकती है. मार्गेन स्टेनली के मुताबिक एप्पल का लक्ष्य है कि वो अगले 2-3 साल में कुल दुनिया के आईफोन उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत तक पहुंचा दे.

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होसुर के पास बन रहा एप्पल का सबसे बड़ा प्लांट

पिछले महीने ही सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत में आईफोन बनाने के लिए एप्पल का सबसे बड़ा कारखाना बेंगलुरु में होसुर के पास स्थापित किया जा रहा है. इस कारखाने में करीब 60,000 लोग काम करेंगे. एप्पल ने आईफोन कारखाना स्थापित करने के लिए टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स को ठेका दिया है, जिसका होसुर में एक संयंत्र है. कंपनी भारत में दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन से आईफोन बनवाती है.

स्टार्टअप इंडिया - एक स्टार्टअप क्रांति की शुरुआत

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स्टार्टअप इंडिया भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य देश में स्टार्टअप्स और नये विचारों के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है जिससे देश का आर्थिक विकास हो एवं बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न हों।

स्टार्टअप एक इकाई है, जो भारत में पांच साल से अधिक से पंजीकृत नहीं है और जिसका सालाना कारोबार किसी भी वित्तीय वर्ष में 25 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है। यह एक इकाई है जो प्रौद्योगिकी या बौद्धिक सम्पदा से प्रेरित नये उत्पादों या सेवाओं के नवाचार, विकास, प्रविस्तारण या व्यवसायीकरण की दिशा में काम करती है।

सरकार द्वारा इस संबंध में घोषित कार्य योजना स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के सभी पहलुओं को संबोधित करने और इस आंदोलन के प्रसार में तेजी लाने की उम्मीद करती है।

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