Fema Regulations for NRI| एनआरआई के लिए फेमा विनियम।

कोई भी व्यक्ति जिसका विदेश में व्यापारिक व्यवहार है, उनके लिए सरकार देश से बाहर ले जाने वाली मुद्रा पर कड़ा नियंत्रण रखना पसंद करती है, इसके अच्छे कारण हैं, जैसे विदेशी मुद्रा के बहिर्वाह को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग आदि।

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) 1999 में भारत सरकार द्वारा भारतीय सीमाओं के पार विदेशी मुद्रा के इस प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए अधिनियमित एक कानून है।

FEMA ने पहले के विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम या FERA को बदल दिया, जो कि नब्बे के दशक की शुरुआत में भारतीय अर्थव्यवस्था में शुरू किए गए आर्थिक सुधारों के मद्देनजर अधिक कठोर था।

फेमा का उद्देश्य भारत में विदेशी व्यापार और उनके भुगतान को सुविधाजनक बनाना, भारतीय बाजार में एक व्यवस्थित सुधार और विदेशी मुद्रा को जारी रखना है।

यह भारत में सभी विदेशी मुद्रा लेनदेन की प्रक्रियाओं, औपचारिकताओं, व्यवसायों की रूपरेखा तैयार करता है।

विदेशों में काम करने वाले भारतीयों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अनिवासी भारतीयों के लिए फेमा नियमों को बहुत सावधानी से समझें क्योंकि यह उनके भारत से धन भेजने और प्राप्त करने के तरीके को प्रभावित कर सकता है।

NRI के लिए FEMA के नियम

एक बार जब आप अपनी स्थिति को निवासी की स्थिति से अनिवासी भारतीय या एनआरआई में बदल लेते हैं, अर्थात, भारत से बाहर रह रहे हैं, लेकिन फिर भी इस देश के नागरिक हैं, तो आपको अपने बचत खातों से संबंधित कुछ औपचारिकताओं से गुजरना होगा।

अनिवासी भारतीयों के लिए फेमा नियम बचत बैंक खाता रखने की अनुमति नहीं देते हैं।

NRI को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित एक NRO या NRE खाता स्थापित करने की आवश्यकता है।

एक NRO एक अनिवासी साधारण रुपया खाता है और इसे दो या दो से अधिक NRI द्वारा संयुक्त रूप से रखा जा सकता है।

खाताधारक की भारत में सभी वैध देय राशि, सामान्य बैंकिंग चैनलों के माध्यम से भारत के बाहर से किसी भी अनुमत मुद्रा में प्राप्त प्रेषण की आय या खाताधारक द्वारा भारत में अपनी अस्थायी यात्रा के दौरान किसी भी अनुमत मुद्रा या अनिवासी बैंकों के रुपया खातों से हस्तांतरण इस खाते में जमा किया जा सकता है, इसलिए, प्रेषित धन दूसरे देश के लिए गैर-प्रत्यावर्तनीय है।

NRE एक अनिवासी (बाहरी) रुपया खाता है, यह भारत के बाहर से धन हस्तांतरण सेवाओं की अनुमति देता है, और खाते की पूरी राशि भी उस देश में वापस की जा सकती है जहां NRI वर्तमान में रहता है, इस खाते में अर्जित आय कराधान से मुक्त है।

FCNR एक विदेशी मुद्रा (अनिवासी) खाता है, और NRI इसमें कोई भी विदेशी मुद्रा जमा कर सकते हैं, यह एक से पांच साल के लिए उपलब्ध विदेशी मुद्रा सावधि जमा है, इस प्रकार के खाते पर कोई कर नहीं लगता है, और परिपक्वता पर धन पूरी तरह से प्रत्यावर्तनीय है।

NRI कहां निवेश कर सकते हैं ?

अनिवासी भारतीयों को प्रत्यावर्तनीय और गैर-प्रत्यावर्तनीय लेनदेन के माध्यम से असीमित मात्रा में निवेश विकल्पों की अनुमति है।

NRI के लिए फेमा नियमों के अनुसार, वे सरकार की छोटी बचत या सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) योजनाओं में निवेश नहीं कर सकते हैं।

NRI अनिवासी भारतीय अचल संपत्ति अर्जित कर सकते हैं ?

NRI भारत में आवासीय या वाणिज्यिक संपत्ति खरीद सकते हैं।

हालांकि, कृषि संपत्ति, वृक्षारोपण, फार्महाउस भूमि आदि खरीदने की अनुमति नहीं है।

अनिवासी भारतीय भी अचल संपत्ति रिश्तेदारों से उपहार के रूप में या विरासत के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।

क्या अचल संपत्तियों से आय प्रत्यावर्तित की जा सकती है ?

अनिवासी भारतीयों को विदेशी प्रत्यावर्तनीय आस्तियों जैसे विदेशों में स्वामित्व वाली अचल संपत्ति से अर्जित किराया पर भारत में विदेशी मुद्रा वापस भेजने की अनुमति है।

अनिवासी भारतीयों के लिए फेमा दिशानिर्देशों के अनुसार, ऐसी संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त आय RBI की मंजूरी के बिना भारत के बाहर गैर-प्रत्यावर्तनीय है।

यदि आपको संपत्ति विरासत में मिली है या भारत में रोजगार से सेवानिवृत्त हुए हैं, तो प्रति वित्तीय वर्ष 1 मिलियन अमरीकी डालर तक की प्रत्यावर्तन की अनुमति है।

छात्रों के लिए क्या प्रावधान है ?

अध्ययन के लिए विदेश जाने वाले छात्रों को NRI माना जाता है और वे फेमा के तहत NRE को उपलब्ध सभी सुविधाओं के लिए पात्र हैं।

वे अपने NRE या NRO खातों या संपत्ति पर लाभ से प्रति वर्ष 10 लाख अमरीकी डालर तक प्रेषण प्राप्त करने के हकदार हैं।

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गुजरात सरकार द्वारा गठित गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का उद्देश्य राज्य के पर्यावरण का संरक्षण करना एवं जल प्रदूषण को नियंत्रित एनआरआई निवेश के लिए नियम और विनियमन करना है। यह राज्य में जल को प्रदूषित होने से बचाने का कार्य भी करता है। आप बोर्ड के विभिन्न कार्यों, उद्देश्य, लक्ष्य इत्यादि की जानकारी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। आप इसकी परियोजनाओं, पर्यावरण संबंधी समाशोधन एवं पर्यावरण संबंधी कानूनों की जानकारी भी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। वाहनों से होने वाले प्रदूषण, जल.

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गुजरात के सामान्य प्रशासन विभाग के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी है। उपयोगकर्ता आदि भूमि प्रशासन, भूमि राजस्व, जिला जनगणना के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आप प्रभाग, प्रशासन, विकेन्द्रीकृत जिला योजना, योजनाओं और कार्यक्रमों से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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सूरत नगर निगम एक स्थानीय स्वशासित संगठन है जो जीवन को बेहतर बनाने संबंधी प्रमुख सुविधाएं एवं सेवाएं प्रदान करता है। सूरत शहर के बारे में विस्तृत जानकारी यहाँ दी गई है। आप निगम और उसकी विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं। विभिन्न राज्यों के सरकारी विभागों एवं नागरिक सेवाओं के बारे में भी जानकारी दी गई है। आप इसकी विभिन्न ऑनलाइन सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। आप इसके विभिन्न प्रपत्र, अधिनियम, पत्रिकाएं इत्यादि यहाँ.

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गिर सोमनाथ जिला नए सात जिलों में से एक के रूप में जूनागढ़ जिले से काटकर बना था। जिले का मुख्यालय वेरावल में है। गिर सोमनाथ जिले गुजरात के सौरष्ट्र क्षेत्र में स्थित है और दक्षिण में अरब सागर से घिरा हुआ है। उपयोगकर्ता स्कूल, कॉलेज, बैंक, अस्पताल, पासपोर्ट और वीजा कार्यालय के रूप में सार्वजनिक उपयोगिताओं के बारे में जानकारी पा सकते हैं। कलेक्ट्रेट की शाखाओं, कार्यालयों, कल्याण कार्यक्रमों, नागरिक सेवाओं के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है। आप.

गुजरात के महीसागर जिला कलेक्ट्रेट की वेबसाइट

माही नदी जो पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है, भारत की एक पवित्र नदी है, जिसके तट पर कई मंदिरों और पावन स्थानों के होने की वजह से कई लोगों द्वारा इसकी पूजा की जाती है। इसकी विशालता के कारण इसको महीसागर नाम दिया गया है। एनआरआई निवेश के लिए नियम और विनियमन गुजरात में 28 वें नवगठित जिले का नाम इसी पवित्र नदी से लिया गया है। उपयोगकर्ता कलेक्ट्रेट की शाखाओं, कार्यालयों, कल्याण कार्यक्रमों और नागरिक सेवाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। स्कूल, कॉलेज, बैंक, अस्पताल, पासपोर्ट और.

पेमेंट बैंक और कमर्शियल बैंक में क्या अंतर होता है?

भारत में पेमेंट बैंक और कमर्शियल बैंक दोनों ही बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के अधीन कार्य करते हैं लेकिन फिर भी कमर्शियल बैंकों के काम का दायरा पेमेंट बैंकों की तुलना में ज्यादा बड़ा है. पेमेंट बैंक और कमर्शियल बैंक में सबसे बड़ा अंतर यह है कि कमर्शियल बैंक; लोगों से कितनी भी राशि को जमा के रूप में स्वीकार कर सकते हैं लेकिन पेमेंट बैंक एक ग्राहक से अधिकतम 1 लाख रुपए तक का जमा स्वीकार कर सकते हैं.

Payment bank vs Commercial banks

वर्ष 2017 से देश में 11 पेमेंट बैंक कार्य कर रहे हैं. पेमेंट बैंक को कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया है और बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की एनआरआई निवेश के लिए नियम और विनियमन धारा 22 के तहत लाइसेंस प्राप्त हुआ है.

पेमेंट बैंकों की स्थापना का मुख्य उद्येश्य ऐसे लोगों को बैंकिंग क्षेत्र से जोड़ना है जो कि भारत के ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, जिनकी आमदनी बहुत कम है और अक्सर काम के सिलसिले में शहरों की ओर पलायन कर जाते हैं. ऐसे लोगों को वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय समायोजन की नीति के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में पेमेंट बैंकों को स्थापित करना शुरू कर दिया है.

पेमेंट बैंकों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999, निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 और जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम अधिनियम, 1961 के द्वारा भी शासित किया जायेगा.

यहाँ पर यह बताना भी जरूरी है कि भारत में वाणिज्यिक बैंकों की निगरानी और निरीक्षण का अधिकार रिज़र्व बैंक को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के आधार पर मिला हुआ है. इस प्रकार पेमेंट बैंकों और कमर्शियल बैंकों की निगरानी एक ही अधिनियम के अनुसार की जाती है लेकिन फिर भी इन दोनों की कार्य शैली में बहुत अंतर पाया जाता है. आइये जानते हैं कि ये दोनों एक दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं;

1. भारत में बैंकिंग प्रणाली की शुरुआत 1786 में बैंक ऑफ कलकत्ता की स्थापना के साथ मानी जाती है जबकि पेमेंट बैंक की शुरुआत 2017 में रिज़र्व बैंक द्वारा 11 कंपनियों को पेमेंट बैंक खोलने की अनुमति देने के साथ हुई है.

2. कमर्शियल बैंक; लोगों से कितनी भी राशि बैंक जमा के रूप में स्वीकार कर सकते हैं लेकिन पेमेंट बैंक एक ग्राहक से अधिकतम 1 लाख रुपए तक का ही बैंक जमा स्वीकार कर सकते हैं.

3. पेमेंट बैंक; अपने खाता धारकों को एटीएम या डेबिट कार्ड तो जारी कर सकेंगे लेकिन क्रेडिट कार्ड जारी नही कर सकते हैं जबकि कमर्शियल बैंकों के लिए ऐसा कोई नियम नही है.

4. कमर्शियल बैंक को खोलने के लिए शुरुआत में 500 करोड़ रुपये की मिनिमम पेड-उप कैपिटल की जरुरत होती है लेकिन पेमेंट बैंक को खोलने के लिए मिनिमम 100 करोड़ रुपये की पेड-उप कैपिटल की जरुरत होती है.

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5. पेमेंट बैंक, लोगों को ऋण या उधार नहीं दे सकते हैं जबकि कमर्शियल बैंकों की मुख्य कमाई लोगों को दिए गए ऋण से ही होती है.

6. पेमेंट बैंक; NRI व्यक्ति से जमा स्वीकार नही कर सकते हैं. अर्थात भारतीय मूल के जो लोग विदेशों में बस गए हैं उनके रुपयों को जमा के रूप में स्वीकार नही कर सकते हैं लेकिन कमर्शियल बैंक ऐसा कर सकते हैं.

7. पेमेंट बैंकों को, दूसरे बैंकों से अलग दिखने के लिए अपने नाम में "पेमेंट्स बैंक" शब्द का उपयोग करना होगा. लेकिन कमर्शियल बैंकों को अलग दिखने के लिए ऐसे किसी भी टाइटल का प्रयोग नही करना पड़ता है.

8. पेमेंट बैंकों को अपनी कुल मांग जमा के कम से कम 75% हिस्से को कम से कम एक वर्ष की परिपक्वता अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करना होगा जबकि कमर्शियल बैंकों को इस तरह की प्रतिभूतियों में बहुत कम निवेश करना होता है.

उम्मीद है कि ऊपर दिए गए बिन्दुओं को पढ़ने के बाद आप स्पष्ट रूप से यह समझ गए होंगे कि किन-किन बिन्दुओं पर कमर्शियल बैंक और पेमेंट बैंक एक दूसरे से भिन्न होते हैं और किन-किन बिन्दुओं पर इन दोनों में समानता पाई जाती है.

स्वैच्छिक परिसमापन नियमों के मसौदे पर सार्वजनिक परामर्श

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) का गठन दिनांक 01 .

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) का गठन दिनांक 01 अक्तूबर, 2016 को दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के प्रावधानों के अऩुसरण में किया गया।

इस बोर्ड का दायित्व भारत में दिवाला और शोधन अक्षमता व्यवस्था के कार्यान्वयन में सहायता करने हेतु एक सुचालक परिस्थितिक तंत्र को स्थापित करने से संबंधित है। इसमें निम्नलिखित विस्तृत कार्य सम्मिलित हैं:-
• कारपोरेट दिवाला, कारपोरेट समापन, वैयक्तिक दिवाला और वैयक्तिक शोधन अक्षमता से संबंधित विनियमन और बाजार प्रक्रिया और व्यवस्थाओं का विकास।
• दिवाला प्रक्रिया के लिए रजिस्ट्रीकरण और विनियामक का प्रदाता, जिसमें दिवाला व्यावसायिक (आईपी), दिवाला व्यावसायिक एजेसियां (आईपीए) और सूचना उपयोगिता (आईयू) सम्मिलित हैं।
• चौकसी, अन्वेषण और शिकायत निवारण के माध्यम से बाजारों और सेवा प्रदाताओं की निगरानी रखना।
• व्यवस्थित ढंग से कार्यप्रणाली को सुनिश्चित करने के लिए सेवा प्रदाताओं का प्रवर्तन और न्यायनिर्णय करना।
• शिक्षा, परीक्षा, प्रशिक्षण और लगातार व्यावसायिक उन्नति के माध्यम से व्यावसायिक विकास और दक्षता।

रपोरेट कार्य मंत्रालय ने बोर्ड को प्रारंभिक सहायता प्रदान की। इसने चार कार्यशील समूह तैयार किए और प्रत्येक की एक समय-सीमा निर्धारित की गई।

इन कार्यशील समूहों को निम्नलिखित अधिदेश दिए गए थे:-

1. बोर्ड के संगठनात्मक ढांचे पर विचार और एनआरआई निवेश के लिए नियम और विनियमन सिफारिश करना;
2. नियम, विनियमन और दिवाला व्यावसायिक और दिवाला व्यावसायिक एजेंसियों पर अन्य संबंधित मामलों पर नियम;
3. संहिता के तहत दिवाला एवं समापन प्रक्रिया के लिए विनियमन और अन्य संबंधित मामले;
4. संहिता के तहत इंफॉरमेशन यूटिलिटी के लिए नियम, विनियमन और अन्य संबंधित मामले।

इन कार्यशील समूहों ने कारपोरेट व्यावसायिकों, दिवाला समापन प्रक्रिया के लिए आईपीए, आईपी, मॉडल उप-नियम, दिवाला संकल्प प्रक्रिया से संबंधित मसौदा विनियम तैयार करने में कारपोरेट कार्य मंत्रालय की सहायता की। कारपोरेट कार्य मंत्रालय ने इस मसौदा विनियमों को 28 से 31 अक्तूबर, 2016 तक आमजन की टिप्पणियां प्राप्त करने हेतु पब्लिक डोमेन पर रखा था। दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत इंफॉरमेशन यूटिलिटी के लिए नियमों, विनियमों और अऩ्य संबंधित मामलों पर विचार करने और अपनी सिफारिशें देने के लिए कारपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा गठित कार्यशील समूह-4 ने इंफॉरमेशन यूटिलिटी पर मसौदा विनियमों सहित अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। ये दिनांक 07 फरवरी, 2017 तक आमजन से टिप्पणियां प्राप्त करने के लिए पब्लिक डोमेन पर रखे गए थे।

दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत स्वैच्छिक समापन प्रक्रिया के संबंध में नियमों, विनियमों और अन्य संबंधित मामलों पर विचार करने और अपनी सिफारिशें देने हेतु कारपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा गठित समूह-3 में स्वैच्छिक समापन पर मसौदा विनियम प्रस्तुत किए।

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड ने मसौदा विनियमों के प्रत्येक प्रावधान पर दिनांक 08 मार्च, 2017 पर आमजन से टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।

संसद में खत्म हुई पक्ष-विपक्ष की तकरार, दोनों सदनों में निपटा बहुत सारा काम

पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों पर संसद के दोनों सदनों चर्चा कराने के लिए बीते सप्ताह विपक्ष अड़ा रहा. लेकिन आज पक्ष-विपक्ष की ये तकरार खत्म हो गई और दोनों सदनों में कामकाज सामान्य रहा. जानें क्या-क्या हुआ संसद में आज

भारतीय संसद (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 मार्च 2021,
  • (अपडेटेड 15 मार्च 2021, 10:43 PM IST)
  • संसद में उठा ब्रिटेन में नस्लभेद का मुद्दा
  • विदेश मंत्री का वंदे भारत मिशन पर बयान
  • संसद की कार्यवाही देखने पहुंचे विदेशी मेहमान

पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा कराने के लिए बीते सप्ताह विपक्ष अड़ा रहा. लेकिन आज पक्ष-विपक्ष की ये तकरार खत्म हो गई और दोनों सदनों में कामकाज सामान्य रहा.

संसद पहुंचे विदेशी मेहमान
संसद में आज विदेशी मेहमान भी एनआरआई निवेश के लिए नियम और विनियमन पहुंचे. अन्तर संसदीय संघ (IPU) के अध्यक्ष महामहिम द्वारते पशेको आज दोनों सदनों की कार्यवाही में विशेष अतिथि के तौर पर मौजूद रहे. वह इन दिनों भारत की यात्रा पर हैं. वह 14 मार्च को भारत पहुंचे हैं और 20 मार्च को भारत से प्रस्थान करने से पहले आगरा और गोवा भी जाएंगे.

‘B.Ed होगा चार साल का’
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान शिक्षको के प्रशिक्षण और एलआईसी के निजीकरण से जुड़े प्रश्न किए गए. शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक कहा कि देश में किसी B.Ed कॉलेज के मानक कड़े किए गए हैं जिस पर खरे उतरने वाले कॉलेजों को ही मान्यता मिलेगी. इसके अलावा नई शिक्षा नीति के तहत B.Ed कोर्स 4 साल का होगा. कोरोना काल में भी शिक्षकों का ऑनलाइन प्रशिक्षण जारी रखा गया. इस दौरान 27 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया.

‘LIC के आईपीओ से सबको फायदा’
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि LIC के आईपीओ से शेयरधारकों और देश दोनों को लाभ होगा. इससे LIC का एमकैप बढ़ेगा और उसमें ज्यादा निवेश आएगा. सरकार LIC का निजीकरण नहीं करने जा रही है.

‘पर्चियों से कोई पास नहीं होता’
लोकसभा में लुधियाना से सांसद रवनीत सिंह के कांग्रेस दल का नेता बनने पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने चुटकी ली, ‘मैं माननीय सांसद को नई जिम्मेदारी मिलने पर बधाई देता हूं, आशा करता हूं कि वह इस नई जिम्मेदारी को निभा पाएंगे. वह केवल किसी दूसरे द्वारा दी गई पर्ची के आधार पर प्रश्न ना करें. पर्चियों से ना कोई पास होता है और ना कोई यहां पर घेर पाता है.’ दरअसल रवनीत सिंह प्रश्नकाल के दौरान जब LIC से जुड़ा सवाल पूछ रहे थे तो उनके हाथ में एक पर्ची थी.

विदेश मंत्री का वंदे भारत मिशन पर बयान
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आज संसद के दोनों सदनों में कोरोना काल में विदेशों में फंसे भारतीयों की मदद के लिए किए गए प्रयासों पर बयान दिया. उन्होंने कहा कि वंदे भारत मिशन में 98 देशों से 45.82 लाख भारतीयों ने स्वदेश वापसी की. इसमें अधिकतर लोगों की संख्या खाड़ी देशों से हुई और सबसे ज्यादा संख्या में श्रमिक देश वापस लौटे. वंदे भारत मिशन के तहत स्वदेश वापसी करने वालों में 39% श्रमिक, 39% पेशेवर और 6% छात्र शामिल रहे.सरकार ने ना सिर्फ भारतीयों की स्वदेश वापसी सुनिश्चित की, बल्कि देश से 1 लाख से अधिक विदेशी पासपोर्ट धारकों को भी 120 देशों में वापस भेजा. इसमें से कई NRI और PIO थे.

संसद में उठा ब्रिटेन में नस्लभेद का मुद्दा
ब्रिटेन की संसद में देश के किसानों के आंदोलन का मुद्दा उठने के बाद आज भारतीय संसद में ब्रिटेन के नस्लभेद का मुद्दा उठा. राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने ब्रिटेन में नस्लभेद के मुद्दे पर बयान दिया. उन्होंने कहा कि भारत महात्मा गांधी का देश है. हम कहीं भी होने वाले नस्लभेद से अपनी आंखें नही फेर सकते, खासकर के ऐसे देश में जहां बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं.

दोनों सदनों में अहम विधेयक पारित
लोाकसभा में खान और खनिज विकास नियम-विनियम संशोधन विधेयक, किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक और राज्यसभा में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन एनआरआई निवेश के लिए नियम और विनियमन संस्थान संशोधन विधेयक पारित हो गए.

राज्यसभा में जल शक्ति मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा
राज्यसभा में कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने जल शक्ति मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा शुरू की. मंत्रालय के काम की समीक्षा करते हुए उन्होंने जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के परफॉर्मेंस से ना उम्मीदी जताई.

‘परफॉर्मेस ठीक नहीं’
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा में जल शक्ति मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा शुरू की. उन्होंने मंत्रालय के आवंटित बजट का उपयोग नहीं कर पाने की बात कही. उन्होंने मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत पर चुटकी ली कि, ‘‘आप युवा हैं, पढ़े-लिखे हैं. राजस्थान में भाजपा को आपसे बहुत उम्मीदें हैं. लेकिन जिस तरह का आपके मंत्रालय का परफॉर्मेंस है तो हमारी बात तो छोड़िए भाजपा को भी आपसे उम्मीद नहीं रहेगी. हमें तो वैसे भी नहीं है.’

लोकसभा में रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा
लोकसभा में रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा हुई. विभिन्न सांसदों ने सदन में अपने-अपने क्षेत्रों के लिए रेलवे से जुड़ी मांगों को रखा.

मंत्री देंगे जवाब
रेल मंत्री पीयूष गोयल मंगलवार को लोकसभा में रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों और जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत राज्यसभा में मंत्रालय के काम काज की चर्चा का जवाब देंगे.

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